Major and Minor Subject Me Kya Antar Hai-मेजर और माइनर सब्जेक्ट में क्या अंतर है सब्जेक्ट चुनने में ये गलती ना करे ?

Major and Minor Subject Me Kya Antar Hai

Major and Minor Subject Me Kya Antar Hai : नमस्कार दोस्तों, अगर आप बीकॉम, एमकॉम, एलएलबी या किसी भी अन्य विषय में पढ़ाई कर रहे हैं, तो आपको न्यू एजुकेशन पॉलिसी 2020 के तहत मेजर और माइनर सब्जेक्ट के बीच का अंतर समझना बहुत जरूरी है। नई शिक्षा नीति के लागू होने के बाद यह बदलाव आया है, लेकिन कई शिक्षकों ने इसे स्पष्ट रूप से समझाया नहीं है। इस लेख में, हम विस्तार से जानेंगे किMajor and Minor Subject Me Kya Antar Hai एवं  उद्देश्य क्या है, इनका चयन कैसे किया जाए, और सही निर्णय लेकर अपने करियर को बेहतर कैसे बनाया जाए।

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Major and Minor Subject Me Kya Antar Hai : Overview 

लेख का नाम Major and Minor Subject Me Kya Antar Hai
लेख का प्रकार Latest Update 
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Major and Minor Subject Me Kya Antar Hai एवं उसका महत्व क्या है?

पुरानी शिक्षा प्रणाली में, जब आप कॉमर्स, साइंस, या आर्ट्स जैसे किसी भी स्ट्रीम का चुनाव करते थे, तो आपके सभी विषय उसी स्ट्रीम से जुड़े होते थे। उदाहरण के लिए, यदि कोई छात्र बीकॉम कर रहा था, तो उसके मुख्य विषय फाइनेंशियल अकाउंटिंग, बिजनेस कम्युनिकेशन, बिजनेस ऑर्गेनाइजेशन, बिजनेस स्टैटिस्टिक्स जैसे होते थे। छात्र का पूरा ध्यान इन्हीं विषयों पर केंद्रित रहता था, क्योंकि यही उनके करियर निर्माण में मददगार होते थे।

लेकिन नई शिक्षा नीति 2020 में छात्रों को यह स्वतंत्रता दी गई है कि वे अपनी पसंद के अनुसार अन्य स्ट्रीम के विषयों का भी चयन कर सकते हैं। यानी, अगर आप कॉमर्स स्ट्रीम से हैं लेकिन आपको साइंस स्ट्रीम का कोई विषय पढ़ने में रुचि है, तो आप उसे माइनर विषय के रूप में चुन सकते हैं।

मेजर और माइनर विषयों के बीच का अंतर : Major and Minor Subject Me Kya Antar Hai

  1. मेजर सब्जेक्ट (मुख्य विषय)
    • मेजर विषय वे होते हैं जिन पर छात्र की पढ़ाई और करियर आधारित होता है।
    • यदि कोई छात्र बीकॉम कर रहा है, तो उसके मुख्य विषय फाइनेंशियल अकाउंटिंग, बिजनेस स्टडीज, मैनेजमेंट, मार्केटिंग आदि होंगे।
    • इन विषयों के लिए इंटरनल और फाइनल एग्जामिनेशन आयोजित किए जाते हैं।
    • कॉलेज द्वारा दिए गए प्रोजेक्ट्स, असाइनमेंट्स और इंटरनल मार्किंग इनका हिस्सा होते हैं।
    • मुख्य परीक्षा में 75% अंक और आंतरिक परीक्षा में 25% अंक होते हैं।
  2. माइनर सब्जेक्ट (गौण विषय)
    • माइनर विषय वे होते हैं जिन्हें छात्र अपनी पसंद और रुचि के आधार पर चुन सकता है।
    • ये विषय करियर के लिए सीधे तौर पर जरूरी नहीं होते, लेकिन ज्ञान और समझ को बढ़ाने में मददगार होते हैं।
    • उदाहरण के लिए, यदि कोई कॉमर्स स्टूडेंट विज्ञान से संबंधित किसी विषय में रुचि रखता है, तो वह भौतिकी, गणित, या कंप्यूटर साइंस जैसे विषय को माइनर के रूप में चुन सकता है।
    • माइनर विषयों की परीक्षा अधिकतर MCQ (बहुविकल्पीय प्रश्न) आधारित होती है।
    • इन विषयों में मार्किंग प्रणाली थोड़ी अलग होती है, लेकिन इन्हें हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए।

मेजर और माइनर विषय चुनते समय किन बातों का ध्यान रखें? : Major and Minor Subject Me Kya Antar Hai

  1. करियर को प्राथमिकता दें
    • सबसे पहले यह देखें कि आपका करियर किस दिशा में जाना चाहता है।
    • उदाहरण के लिए, यदि आप चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) बनना चाहते हैं, तो फाइनेंशियल अकाउंटिंग और टैक्सेशन जैसे विषयों को मेजर के रूप में चुनना चाहिए।
    • यदि आप MBA करने की योजना बना रहे हैं, तो बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन और मार्केटिंग जैसे विषयों पर ध्यान देना चाहिए।
  2. माइनर विषय में रुचि का ध्यान रखें
    • माइनर विषयों को चुनते समय अपनी रुचि का ध्यान रखें।
    • यदि आपको डिजिटल मार्केटिंग, साइबर सिक्योरिटी, मनोविज्ञान, या डेटा साइंस में रुचि है, तो इन विषयों को माइनर के रूप में चुन सकते हैं।
    • इससे न केवल आपकी जानकारी बढ़ेगी, बल्कि नए कौशल सीखने का भी मौका मिलेगा।
  3. कॉलेज की नीतियों को समझें
    • हर कॉलेज में मेजर और माइनर विषयों के चयन की प्रक्रिया अलग हो सकती है।
    • कुछ कॉलेज सीमित संख्या में ही माइनर विषयों का विकल्प देते हैं, इसलिए पहले से जानकारी प्राप्त करें।
    • जब एग्जामिनेशन फॉर्म भरते हैं, तो माइनर विषय का चयन ध्यान से करें।
  4. फोकस और बैलेंस बनाए रखें
    • मेजर विषयों पर आपका पूरा ध्यान होना चाहिए, क्योंकि यही आपके करियर को आगे ले जाने वाले हैं।
    • माइनर विषयों को अतिरिक्त ज्ञान और स्किल्स के रूप में देखें, लेकिन उन्हें हल्के में न लें।

मेजर और माइनर विषयों की परीक्षा प्रणाली : Major and Minor Subject Me Kya Antar Hai

  • मेजर विषयों की परीक्षा में लॉन्ग आंसर और शॉर्ट आंसर दोनों प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं।
  • इनकी परीक्षा पारंपरिक तरीके से होती है, यानी लिखित परीक्षा के रूप में।
  • इंटरनल एग्जाम में 25 अंक और मुख्य परीक्षा में 75 अंक होते हैं।
  • माइनर विषयों की परीक्षा अधिकतर MCQ आधारित होती है, ताकि छात्रों को विषय की मूलभूत जानकारी प्राप्त हो सके।
  • हालांकि, माइनर विषयों की मार्किंग भी महत्वपूर्ण होती है, इसलिए इनकी तैयारी भी ठीक से करनी चाहिए।

मेजर और माइनर विषय चुनने की गलती न करें : Major and Minor Subject Me Kya Antar Hai

  • कई छात्र बिना सोच-विचार के माइनर विषय चुन लेते हैं, जिससे बाद में परेशानी हो सकती है।
  • यदि किसी छात्र को विज्ञान में रुचि नहीं है, लेकिन वह सिर्फ “अलग विषय” के नाम पर फिजिक्स या केमिस्ट्री चुन लेता है, तो उसे कठिनाई हो सकती है।
  • माइनर विषय का चुनाव अपने करियर, रुचि और भविष्य की जरूरतों के हिसाब से करें।

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निष्कर्ष

नई शिक्षा नीति 2020 के तहत छात्रों को मेजर और माइनर विषय चुनने की स्वतंत्रता दी गई है, जिससे वे अपने करियर के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में भी ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। मेजर विषय उनके करियर के लिए आवश्यक होते हैं, जबकि माइनर विषय उन्हें अतिरिक्त ज्ञान और कौशल प्रदान करते हैं।Major and Minor Subject Me Kya Antar Hai

छात्रों को विषयों का चुनाव सोच-समझकर करना चाहिए, ताकि वे अपने भविष्य को बेहतर बना सकें। सही चुनाव करके ही वे अपने करियर को सही दिशा में आगे बढ़ा सकते हैं।

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